Nobody knows where it comes from, yet it seems to come before all things.Nobody knows where it comes from, yet it seems to come before all things.
नही ज्ञात उसका उद्गम कहां से है। जितना भी जान लिया जाए, वह अनजाना रह जाता है। समस्त ज्ञान भी उस रहस्य पर से परदा नही हटा पाता कि, वह क्या है। आदमी के कल्पना या चिंतन की आखिरी सीमा है ईश्वर, और लाओत्से कहते हैं, कि जो दिख रहा है, वह प्रतिबिंब प्रतीत होता है उसका, जो ईश्वर से भी पहले था।
एक अर्थ में मनुष्य के चिंतन की अंतिम सीमा सत्य की पहली सीमा भी नही। क्योंकि लाओत्से के विचार से, जो भी जाना जा सकता है, वह प्रतिबिंब ही हो सकता है, क्योंकि सत्य को जानने वाला अलग नही बचता, उससे एक हो जाता है।