फ़कीरी – 6
मन के हारे हार है मन के जीते जीत ।
कहे कबीर हरि पाइए मन ही की परतीत ॥
सब मन का खेल है! हार और जीत मन की भावनाएं हैं।
जीवन में नित्य प्रति के जो कार्य होते हैं, उनका परिणाम व्यक्ति के मनोबल पर ही निर्भर करता है। मनोकामना अगर पूर्ण न हो तो हार और पूर्ण हो जाए तो जीत। जो मन के धनी होते हैं, अनेक विघ्न बाधाओं को पार करते हुए इच्छित कार्य को पूरा कर लेते हैं। मनुष्य की शक्ति उसके मनोबल पर ही निर्भर करता है। सामान्य मनुष्य के दृष्टि में इस उक्ति का जो अर्थ है, कबीर के कहने का अर्थ इसके ठीक उलट है। आमतौर पर मन की इच्छाओं की प्राप्ति नहीं होना हार और प्राप्त हो जाना जीत समझा जाता है। लेकिन कबीर के कहने का आशय भिन्न है। कबीर कहते हैं – मन के जीते जीत ! मन को जीत लो तभी विजय है। अगर मन को नियंत्रण में न ला सके, तो समझो पराजित हो गए। जीवन का जो वास्तविक उद्देश्य है, उसे पाने में विफल हो गए।
मनुष्य तन मिला है तो मनोगामी होकर नहीं आत्मज्ञानी होकर जीने के लिए, बस इतनी याद बनी रहे।
Project Details
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Acrylic on Canvas
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Size - 36 x 36 inches
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Year 2022