दोहा- 3
सोच समझ कर बोलना एक कला है और मौन रहना एक साधना। एक समय शब्द और जादू एक ही चीज़ हुआ करते थे, आज भी बोले गए शब्द अपने अधिकांश जादुई शक्तियों को बरकरार रखते हैं। इस रहस्य को समझने वाला यह जानता है कि बोली एक अमूल्य निधि है और उसे मुंह से बाहर आने के पहले हृदय के तराजू पर तौल लेना उचित है;
बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि,
हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि।
Project Details
-
Pen, ink and acrylic on canvas sheet
-
Size A4
-
Year 2022