Insight – 4

Unlocking the mystery, Depths of Subtlety and wonder
अस्तित्व एक ही है। दो दिखाई पड़ने वाली चीज़ों में भी एक का ही वास है।  दो दिखने की वजह है, बुद्धि के देखने का ढंग, जो दो में तोड़ देने का है, क्योंकि बुद्धि विपरीत को साथ नहीं रख पाती इसलिए विरोधी को अलग कर देती है। जैसे मृत्यु को जीवन के भीतर देख पाना बुद्धि के लिये असंभव है। लेकिन वस्तुत: मृत्यु जीवन का ही हिस्सा है, उसकी पूर्णता है। लेकिन अस्तित्व असंगत को भी स्वीकार करता है,अंधकार और प्रकाश को साथ चलाए रखने में उसे कोई अड़चन नहीं,क्योंकि अंधेरा प्रकाश का ही धीमा रूप है और प्रकाश अंधकार की कम सघन स्थिति। जीवन मृत्यु एक है, प्रेम और घृणा, प्रकाश अंधकार, सुख दुःख एक ही चीज़ के दो नाम हैं, एक के बिना दूसरे का अस्तित्व ही नही।

लाओत्से कहते हैं अनेक हो कर भी जो एक ही बना रहता है, उसे ही हम रहस्य कहते हैं। जिसे हम जान भी लेते हैं फिर भी नही जान पाते, वही रहस्य है। मैं की प्रतीति खत्म होते ही रहस्य का द्वार खुल जाता है। यानी जब अहंकार होता है विरल तब रहस्य होता है सघन।

Under these two aspects, it is really the same, but as development takes place, it receives the different names. Together we call them mystery. Where the mystery is the deepest, is the gate of all that is subtle and wonderful.

इन दोनों पहलुओं के भीतर वह एक ही है, पर जैसे जैसे विकास की प्रक्रिया घटित होती है उसे भिन्न भिन्न नाम मिलने लगते हैं। समग्र रूप से हम इसे रहस्य कहते हैं। जहां रहस्य सघन हो, वहीं उस सूक्ष्म और अद्भुत का प्रवेश द्वार है।

Project Details

  • Acrylic on Canvas

  • Round 24" Diameter

  • Year 2024