Insight – 3

Desireless depth of ‘Tao’

लाओत्से कहते हैं कामना से भरा हुआ चित्त जिस भी मार्ग पर चलता है वह असली मार्ग नही। क्योकि जहां पाने की लालसा है वहीं चित्त अशांत हो जाता है और जीवन के अतल गहराईयों के द्वार नही खोल पाता, केवल बाह्य परिधि से परिचित हो पाता है।
यह तीसरा सूत्र पहले दो सूत्रों से निकलता है इसी कारण इसलिए से शुरू होता है। इच्छा और वासना से भरा मन ही कहीं पहुंचना चाहता है। अगर जो है उसी से मन राजी हो जाए तब सारे पथ बेकार हो जाएंगे। हम जितने पथों का निर्माण करते हैं वे सभी कामना के पथ हैं। फिर वह रास्ता धर्म से बनाए, धन से बनाए, हम बाहर की यात्रा करें, भीतर जाएं, जगत की कोई वस्तु पाना चाहें या फिर मोक्ष। लाओत्से का कहना है कि उखाड़ डालो सारी परतें कामना की ताकि एक भी परत न रह जाए। निष्काम हो जाना ही उपयोगी है, समस्त कामनाओं से शून्य।
ताओ का सार अंश तथाता है – स्वीकृति। जहां समग्र स्वीकृति है वहीं निष्कामता है। जहां थोड़ी सी भी अस्वीकृति है, वहीं चाह का जन्म है।
कामयुक्त मन कभी वर्तमान में नही होता और जीवन का रहस्य तो वर्तमान में है। अतीत मात्र एक स्मृति है, भविष्य केवल कल्पना, अस्तित्व में सिर्फ वर्तमान है। जीवन और मन कहीं नही मिलते, इसलिए जो मन से भराहै जीवन से रिक्त हो जाता है और  जो मन से खाली होता है जीवन से भर जाता है।
लाओत्से कहते हैं इच्छाओं के लिए मार्ग की जरूरत है,श्रम और प्रयास की जरूरत है, निर्वासना के लिए समझ काफी है, किसी उपाय की जरूरत नही। वस्तुत: हम बंधे हुए नही सिर्फ बंधे होने का ख्याल है। जीवन की परम संपदा दौड़ने से नही दिखाई पड़ती, सिर्फ ठहर जाने और खड़े होने से दिखती है। समस्त धर्म अभय से जन्मता है, भय से नही। दुख का सूत्र है सुख की मांग, आनंद का मार्ग है संपूर्ण स्वीकृति।

Therefore:
Always stripped of passion we must be found,
If life’s secret we would sound;
But if passion always within us be
Its outer fringe is all that we shall see.

इसलिए यदि जीवन के रहस्य की अतुल गहराइयों को मापना हो तो निष्काम जीवन ही उपयोगी है। कामयुक्त  मन को इसकी बाह्य परिधि ही दिखती है।

Project Details

  • Acrylic on Canvas

  • Round 24" diameter

  • Year 2024