Insight -1
The Tao that can be trodden is not the enduring and unchanging Tao. The name that can be named is not the enduring and unchanging name.
The tao that can be told is not the eternal Tao. The name that can be named is not the eternal Name.
जिस पथ पर विचरण किया जा सके, वह सनातन और अविकारी पथ नहीं है। जिसके नाम का सुमिरन हो, वह कालजयी एवं सदा एकरस रहने वाला नाम नहीं है।
जो कहा जा सकता है, वह सत्य नहीं है; जो वाणी का आकार ले सकता है, आकार लेते ही अपनी निराकार सत्ता को अनिवार्यता खो देता है। शब्द में डालते ही सत्य असत्य हो जाता है।
जिस पथ पर चला जा सके, जिस पर चलने की घटना घट सके, उस पर पहुंचने की घटना न घटेगी। क्योंकि जहां हमें पहुंचना है, वह कहीं दूर नहीं, यहीं और अभी है। जिसे स्वयं को खोजना है उसे तो सब रास्ते छोड़ देने पड़ेंगे, क्योंकि स्वयं तक कोई भी रास्ता नहीं जाता है। असल में, स्वयं तक पहुंचने के लिए रास्ते की जरूरत ही नहीं है। खालीपन ही निर्विकार है। जहां कुछ भी आया, वहीं विकार आ जाता है। शून्य के अतिरिक्त और कोई पवित्रता नहीं है। जरा सा एक रेखा का खिंच जाना मन में, और संसार निर्मित हो जाता है। ऐसी जब कोई स्थिति बनती है, तब ताओ प्रकट होता है। तब मार्ग प्रकट होता है। तब वह नाम सुना जाता है। तब वह अविकारी और सनातन नियम बोध में आता है !
Project Details
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Acrylic on canvas
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66 X 36 inches
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Year 2024