Ether

मन के पीछे छूटते ही आकाश में प्रवेश होता है। जो सब में समाहित है, सर्वत्र मौजूद है, लेकिन असंग है। सम्पूर्ण ब्रम्हांड में व्याप्त है, जहां कितना कुछ घटित हो रहा या हो चुका लेकिन आकाश एक साक्षी भाव से देख रहा, बिल्कुल खाली, एक विशुद्ध चेतना की तरह।
सारे तत्वों में सबसे सूक्ष्म,अनहद, कोमल,स्थिर शून्य।
पृथ्वी आकार देती है, पोसती है स्थिरता देती है, वायु भरता है श्वास, गतिशीलता, जल उढेलता है जीवन, शीतलता, अग्नि देती है ताप और सौहार्द और अंततः आकाश भरता है हर कोने में छुपी रिक्तता।
सारे तत्व उस परम रचयिता के वृहत रूप के द्योतक हैं जिसकी दिव्य चेतना सम्पूर्ण बाह्य और आंतरिक जगत में समाहित है। उस पूर्ण के हम एक अंश, जहां वह पूर्ण रूप से मौजूद।

संस्कृत में एक सुंदर श्लोक है
‘ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते’
श्लोक का अर्थ है:

पूर्ण से पूर्ण प्रकट होता है, पूर्ण से पूर्ण लेने पर भी पूर्णता बनी रहती है

Space element is reffered as ‘quintessence’, the purest form. Considered as god-like element, a substance that allowed humans to connect to spirituality and intuition, that which was unbound and all-pervasive, and the element of potentiality. Ether is without the firmness of earth, the coolness of water, the heat of fire or even the movement of wind. It is therefore the very essence of ‘emptiness’.
As we become more aware of our connection to the space element, we get more connected to the world inside and around us!

The fifth element🌸 Ether

Project Details

  • Acrylic on canvas

  • 6ft by 4ft

  • Year 2024