INHERENT TUNE
वो धुन जो अदृश्य है
फिर भी मुखर है
थिरकती रहती है
धमनियों और शिराओं में
नर्तकियों के
कवियों के लफ्जों में
चुपके से घुस जाती है
सरगम की जाल बना कर
छूना चाहा गवैयों ने उसे बार बार
साज़ों में बांधने का हठ है साजिंदों का
पर अनजाने में कई दफा
लोरी गाती मांओं के गले में सुना है उसे
प्रेम बसे हृदय से बरबस निकलते देखा है
फकीर जो बंदगी में मगन है
भरा बैठा है उस धुन से
ज़ोरों से कूकती कोयल
उसी से बातें किया करती है
चांद को पता है राज़ तारों का
वो उस धुन पर ही टिमटिमाते हैं
कण कण शराबोर है जिस मद से
वह धुन खामोशी से मेरे भीतर है!
Thy tune which is invisible
Yet so evident
Vibrate rhythmically
In the veins
Of dancers
Quietly enters
In the words of poet
Creeps in the musical notes
Musicians learn the art
Of holding in the instruments
But invariably i have heard it
In the voice of mothers
singing lullaby
Seen it flowing through
The heart full of love
In the mind of mystic
Completely immersed in prayers
Cuckoo sings to thy tune
Moon knows the secret
Of stars glittering on that tune
Each fragment is drenched
In inebriation of that cosmic tune
Is silently pulsating with in me!
-antra
Project Details
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Acrylic on Canvas
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Size 36x 48 inches
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Year 2020