सप्तम कालरात्रि
देवी भगवती का सातवां रूप है जिससे सब जड़ चेतन मृत्यु को प्राप्त होते हैं ओर मृत्यु के समय सब प्राणियों को इस स्वरूप का अनुभव होता है।सातवीं शक्ति कालरात्रि की उपासना के दिन साधक का मन ‘सहस्रार’ चक्र में स्थित रहता है। इसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है। उनके साक्षात्कार से मिलने वाले सभी सिद्धियों और और निधियों का वह भागी हो जाता है।
Project Details
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Acrylic on Canvas
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Size - A4
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Year 2021