चतुर्थ कूष्मांडा
अपनी मंद हंसी के द्वारा अण्ड यानी ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इस देवी को कूष्मांडा नाम से अभिहित किया गया है।
संपूर्ण, जागृत और प्रत्यक्ष बुद्धिमत्ता का सृष्टि में अनुभव करना ही कूष्मांडा है । इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है इसी लिये इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान है। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में अवस्थित तेज इन्हीं की छाया है। माँ अष्टभुजा देवी के नाम से भी विख्यात हैं
Project Details
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Acrylic on Canvas
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Size - A4
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Year 2021