द्वितीय ब्रह्मचारिणी

द्वितीय ब्रह्मचारिणी

जड़ में ज्ञान का प्रस्फुरण, चेतना का संचार भगवती के दूसरे रूप का प्रादुर्भाव है। वह अनंत में गतिमान है, विद्यमान है। मां का तपस्विनी स्वरूप तप की शक्ति से त्याग, सदाचार,संयम और वैराग्य की वृद्धि करता है।

Project Details

  • Acrylic on Canvas

  • Size - A4

  • Year 2021