दोहा- 11

पाया कहे तो बाबरे, खोया कहे तो कूर।
पाया खोया कुछ नहीं, ज्यों का त्यों भरपूर।।

ईश्वर की मौज़ूदगी सर्वत्र है, उसका पाने या खो देने से कोई संबंध नही, आस्था या विश्वास होने या न होने से भी कोई फर्क नही पड़ता, जो है, वह हमेशा से था, है और रहेगा। इस विषय पर कबीर कहते हैं, जो कहे कि उसने पा लिया है वो बावरा है, अज्ञानी है और जो कहे की उसने खो दिया है वो मूढ़ और अविवेकी है। ईश्वर को न तो पाया जा सकता है और न ही उसे खोया ही जा सकता है। जो हमेशा से हर तत्व में अपने पूर्णत्व में मौजूद है, वह तो ज्यों का त्यों ही रहता है, एक शास्वत सत्य !

Project Details

  • Pen, ink and acrylic on canvas sheet

  • Size A4

  • Year 2022