दोहा- 7

जल में बसे कमोदनी, चंदा बसे आकाश ।
जो है जा को भावना सो ताहि के पास ।।

इस दोहे में कबीर कहते हैं कि कमल जल में रहता है और चांद आकाश में, लेकिन जब चन्द्रमा का प्रतिबिंब आकाश से जल में उत्पन्न होता है तो जल और चन्द्रमा दूर होते हुए भी पास हैं। भाव है, की यदि कोई हृदय में समाया हुआ है तो दूरी कोई मायने नहीं रखती है और वह सदा उसके पास होता है,प्रेम का दायरा असीमित है। प्रेम व्यक्त अव्यक्त और जड़ चेतन से परे हैं जब सच्ची आस्था हो तो निकटता अधिक होती है भले ही भौतिक रूप से दूर रहें। यह भक्ति की पराकाष्ठा होती है जब साधक ईश्वर से दूर होते हुए भी समीप महसूस करता है। दोनों के मध्य भौतिक दूरी समाप्त हो जाती है, यही प्रेम भी है।

Project Details

  • Pen, ink and acrylic on canvas sheet

  • Size A4

  • Year 2022