दोहा- 5

भ्रमित मनुष्य व्याकुल हो कर ईश्वर को इधर उधर ढूंढता है, सिवाय अपने अंदर, जिस जगह वो हमेशा से है, जैसे तिल में तेल होता है और चकमक पत्थर में आग छुपी होती है। जागने भर की देरी है, अपने मूल स्वभाव को पहचाना भर है। मानवता धर्म बन जाए तो उस तक पहुंच पाना आसान हो जाता है।

ज्यों तिल माहि तेल है, ज्यों चकमक में आग ।
तेरा साईं तुझ ही में है, जाग सके तो जाग ।।

Project Details

  • Pen, ink and acrylic on canvas sheet

  • Size A4

  • Year 2022