फ़कीरी – 8
ज़रूरत से ज़्यादा जो भी है वह विष समान है यानी नुकसानदेह है, ऐसा कहीं पढ़ा था, लेकिन धीरे धीरे अनुभवों से यह महसूस भी होता गया कि हर बात में एक संतुलन निहायत ही ज़रूरी चीज़ है। अति किसी भी नज़र से सही नही, चाहे वह खान-पान हो, बोलचाल हो, मोह माया, प्रेम, इच्छा,आकांक्षा, धन- दौलत कुछ भी। कबीर बहुत सरलता से इस बात को अपनी शैली में कहते हैं।
अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप,
अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।
वे कहते हैं, न ज़्यादा बोलना सही ,न चुप रहना, जिस तरह न बहुत ज़्यादा बारिश अच्छी, न बहुत तेज़ धूप।
अधिक बोलने वाला भी चूक कर बैठता है तथा अति चुप्पी भी कायरता मान ली जाती है। ज़्यादा बारिश जितनी तकलीफ देती है, उतनी ही तेज़ धूप भी। आशय यही है कि आवश्यकता से अधिक सब व्यर्थ होता है।
Project Details
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Acrylic on canvas
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Size- 36 x 36 inches
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Year 2023