दोहा- 12

धरती फाटै मेघ मिले, कपड़ा फाटै डौर।
तन फाटै को औषधि, मन फाटै नहिं ठौर।।

इस दोहे में कबीर मन की कोमलता को महत्व देने को कहते है। इसकी संवेदनशीलता के बारे में कहते हैं कि दुनिया में यही एक चीज़ है जो टूटने पर कभी नहीं जुड़ सकती, विभिन्न रूपकों से तुलना करते हुए वे कहते हैं, कि जब धरती में दरारें पड़ती हैं तो वर्षा का जल उसे भर देता है, अगर कपड़ा फट जाए तो धागे से सिला जा सकता है, देह की चोट को औषधियों से ठीक किया जा सकता है… लेकिन मन फटने पर उसे भर पाना संभव नहीं!

Project Details

  • Pen, ink and acrylic on canvas sheet

  • Size A4

  • Year 2022