दोहा- 10

जेती लहर समुद्र की, तेती मन की दौर।
सहजे हीरा नीपजै, जो मन आवै ठौर।।

कबीर ने हमेशा मन को साधने पर बहुत बल दिया है। यहां वह मन की तुलना समंदर की अस्थिरता से करते हैं, जिस तरह उसमें अनगिनत लहरें निरंतर बनती मिटती रहती हैं उसी तरह मन में हर क्षण असंख्य विचार उठते रहते हैं। अगर मन को सहज और शांत कर लिया जाए तो खुद तक पहुंचना आसान हो जाता है, यानी सत्य का अमूल्य हीरा पाया जा सकता है।

Project Details

  • Pen, ink and acrylic on canvas sheet

  • Size A4

  • Year 2022